मुम्बई निवासी Aaditya Tikku मीडिया जगत का जाना-पहचाना नाम है. अपने लेखन और सम्पादकीय कौशल से सुरभि सलोनी पत्रिका को राष्ट्रिय स्तर पर पहचान दिलाकर अपनी प्रतिभा दिखाई है. Aaditya Tikku ने ‘अंतर्द्वंद’ पुस्तक के माध्यम से जहाँ लेखक जगत में विशिष्ठ उपस्थिति दर्ज करवाई है वहीँ बालक-बालिकाओं की समस्याओं पर कार्य करके सिद्धहस्त काउंसलर के रूप में भी प्रतिष्ठा प्राप्त की है.
प्रसिद्ध गायक अनूप जलोटा जी के शब्दों में – “सौम्य और शालीन स्वभाव के श्री आदित्य तिक्कू जी से मेरे संबंध करीब 8-9 साल से है. आदित्य टिक्कू जी विशेष कार्य कर रहे हैं. बच्चों को सही मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है, उनको किस क्षेत्र में जाना चाहिए ये वो नादानी में समझ नहीं पाते हैं, आदित्य जी उनकी ये उलझन दूर करके उन्हें सही रास्ते से अवगत कराते हैं. बुजुर्गों की समस्या पर भी उन्होंने चर्चाएं आयोजित की, लड़कियों की समस्याओं के लिए भी कार्य कर रहे है.”
वरिष्ठ पत्रकार अरुण उपाध्याय ने Aaditya Tikku की पुस्तक को केंद्र में रख कर बहुत सुंदर विवेचना की है. उन्होंने लिखा है- “समाज में लोगों के गिरते चारित्रिक स्तर, घर और मकान में फर्क के साथ ही इस नये कलमकार ने रोटी को बड़ी महत्ता के साथ अपने अंतर्द्वंद में अंकित किया है.”
वे आगे लिखते हैं- “प्रकाशन से पूर्व आदित्य का लिखा पढ़ने से लगा कि पत्रकारिता के दौरान उन्होंने सारे समाज को बड़े तबीयत से जीया, उसका अध्ययन किया और अपनी इस पुस्तक के जरिए जमकर उनका विरोध किया. बड़ा दर्द छिपा लगता है अंतर्द्वंद में. उन्होंने अप्रवासी हिंदुस्तानियों को बाहर खलने वाली वतन की कमी पर जमकर लिखा है. परदेस में रहकर आदित्य अपने मुल्क के लिए किस तरह तड़प रहे हैं, यह पुस्तक उसी दर्द का एक दस्तावेज है. मां सरस्वती अपने इस पुत्र की राह प्रशस्त करें.”
बचपन से लेखन करते हैं – Aaditya Tikku
आदित्य कक्षा 7 से ही लेखन में नियोजित हो गए थे. वे अपने पिताजी सुरेन्द्र नाथ तिक्कू के विचारों से प्रभावित हुए. लिखने का अंदाज़ अपने मौसाजी कुलदीप नारायण तिक्कू से प्रेरित है. उन्होंने अनेक सम-सामायिक विषयों पर खुलकर लिखा है. यही कारण कि उनकी लेखनी आज के युवाओं को झकझोरती है तो अनुभवियों को सोचने के लिए प्रेरित करती है.
11 वर्षो से आदित्य National Magazine सुरभि सलोनी के संपादक की जिम्मेदारी बड़ी कुशलता से निभा रहे हैं. लेखन के साथ साथ 19 वर्षों से समाज सेवा में भी लगे हुए हैं. आराधना-साधना फाउंडेशन के माध्यम से अध्यात्म के संस्कार भी वर्तमान पीढ़ी में भरने का प्रयास कर रहे हैं. उनके सन्दर्भ में जानेमाने कवि मंच संचालक सुभाष काबरा लिखते हैं-
“अनुज आदित्य तिक्कू से बरसों से परिचय है. आदित्य ने सम – सामयिक विषयों पर अपनी कलम खूब चलाई है तो बच्चों का हौसला बढ़ानेवाले और पैरेंट्स को सही सलाह दे कर बालविकास के सेमिनार भी किए हैं. इसी क्रम में बुजुर्गों की समस्या और उपेक्षा पर चर्चाएं आयोजित की जो बेहद सफल रहीं. अपने लेखन में विशेष रूप से लड़कियों की शिक्षा , दीक्षा , सामाजिक सरोकार और अवसर तथा आत्मविश्वास को केन्द्र में रखा है. खुशी की बात कि अब आदित्य अपनी साइट के माध्यम से भी हम सबसे जुड़ रहे हैं.
अनेकों पुरस्कारों से नवाज़े जा चुके हैं आदित्य
लेखन, काउन्सिलिंग, समाज सेवा सब क्षेत्रों में आदित्य तिक्कू को अवार्ड मिल चुके हैं. अंतर्द्वंद बुक के लिए कलमकार अवार्ड प्राप्त हुआ. पिछले वर्ष ही समाज सेवा और Counseling के लिए एक संस्था ने अवार्ड दिया था. ऐसे अनेक अवार्ड और पुरस्कार आदित्य को मिले हैं.
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