Raghav Kumawat : कवियों में न्यू उभरता नाम

राजस्थान के एक छोटे से कस्बे प्रताप सिंह बारहठ की धरती शाहपुरा के रहने वाले Raghav Kumawat समुद्र की लहरों की तरह उमड़ते भावों को काव्य पंक्तियों में बांधना बखूबी जानते हैं. कक्षा 9 से काव्य जगत में पदार्पण करने वाले राघव कुमावत आज कवि सम्मेलनों में निर्भीकता के साथ अपनी कविताओं को स्वर देते हैं.
राघव कुमावत स्वयं के बारे में बताते हैं- “मुझे कविताएँ एवं भजन लिखना सुनना अत्यधिक पसंद है. जब कक्षा नौ में था तब मेरे एक गुरु जी जो कि कविताएँ बोलते थे, लिखते थे, उनसे मुझे कविता लिखने की प्रेरणा मिली और कक्षा 9 से में टूटी फूटी कविताएँ लिखना प्रारंभ किया. और मेरे अंकल मुझे जागरण में ले जाते थे. छोटा था तब भजन गाने की प्रेरणा वहीं से मिली.”
काव्य जगत में आगे बढ़ाने में मिले महानुभावों के योगदान की चर्चा करते हुए Raghav Kumawat बताते हैं- “मेरे गुरुजी परमेश्वर जी कुमावत जो कि वर्तमान में अध्यापक हैं. और मेरे अंकल प्रभुलाल जी कुमावत, वो गायक और पियानो वादक है. इन दोनों का बहुत बड़ा योगदान है. प्रारंभ के दिनों में सहयोग मिलना बहुत बड़ी बात होती है. इसलिए इन दोनों का मैं उपकार मानता हूँ. उपकारी के प्रति हमेशा नतमस्तक रहना चाहिए.”

Raghav Kumawat की रचनाओं का नमूना 

कवि हृदय राघव ने अनेकों कविताओं का निर्माण किया है. प्रत्येक कविता पाठक के मन में नये उत्साह का संचार करती है. इसके साथ कुमावत के अन्दर उठने वाली सामाजिक बदलाव की उताल तरंगो को अभिव्यक्त भी करती है. उनकी रचनाओं का एक नमूना यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं.

तू चल पड़ा उस तरफ जिधर भीड़ थी,
जो वो कर रहा वो ही तुझे करना यही रीत थी।
भीड़ में फंसे कुछ लोग राह दिखाते रहे।
खुद को राह दिखी नहीं,
बस वो इसारे से बताते रहे।
बिना लक्ष्य वाले पथ प्रदर्शक का,
तू अनुसरण करने लगा।
कुछ दिनों बाद तू भी,
इशारे से बताने लगा।
क्या करें तू भी उस भीड़ का हिस्सा है,
नहीं चला आगे तो पीछे से धक्का है।
तू ढूंढ उसे जो भीड़ से ऊपर खड़ा है,
तू सोच यही की वो वहाँ तक कैसे चढ़ा है?

समाज सेवा में रहते हैं आगे 

कविताओं का लेखन करना और मंचों पर प्रस्तुति देना यह हर कवि का पेशा होता है. पर बहुत कम कवि ऐसे देखने को मिलते हैं जो समाज सेवा में खुद को नियोजित किये हुए होते हैं. राघव ऐसे ही विरले कवियों में है. वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा संचालित NGO में दो वर्ष तक अपनी सेवाएं दी है. कलाम साहब के विचारों को 70 से अधिक विद्यालयों में पहुंचाया है. NGO के लिए गीत और कविताओं का निर्माण करने में भी आगे रहते हैं.

Raghav Kumawat

स्वयं सेवी संस्थाओं के साथ जुड़ कर बालक-बालिकाओं को अभिप्रेरित करने वाली कविताओं का श्रवण भी करवाते हैं. राघव बताते हैं- “मुझे बच्चों के साथ समय बिताना अच्छा लगता है. उनकी शिक्षा और संस्कारों पर काम करता हूँ तो अन्दर में एक अलग ही ख़ुशी का अहसास होता है. मैं बच्चों को अपनी कविताओं से जीवन को प्रभावी तरीके से जीना सिखाता हूँ.”

लीड इंडिया संस्था ने किया है सम्मानित 

समाजसेवी कवि राघव कुमावत बताते हैं- ” लीड इंडिया संस्था की तरफ से मुझे अनेकों बार सम्मान प्राप्त हुआ है. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के एन. जी. ओ. के साथ जुड़े बड़े महानुभावों के साथ मिलने का अवसर मिला है.”
Raghav Kumawat
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