Dony Chauhan : हिमाचली लोक गायक

शिमला जिले की तेहसिल ननखड़ी का एक छोटा सा गांव दरोटी के Dony Chauhan हिमाचली लोक गायको में तेजी से उभरने वाला नाम है. जी हां हिमाचली संगीत जगत में नाम कमा चुके “डॉनी चौहान” मशूर गायको में एक है. शिक्षा के लिए दरोटी, बगलती से लेकर शिमला तक का सफ़र तय किया है.
डॉनी चौहान ने अपने बारे मे बताया – “on Document” मेरा नाम “पवन चौहान ” है लेकिन हिमाचली संगीत जगत में मेरे उपनाम “डॉनी चौहान के नाम से पहचान मिली है. मेरे पिता श्री मान सुख और माता श्रीमति चंपा देवी है. माता – पिता का सहयोग और लोगो का इतना ज्यादा प्यार मेरे अंदर के कलाकार को आज हिमाचल के कोने –कोने तक पहुंचा रहा है, जो कि मेरा सौभाग्य है.”
Dony Chauhan
स्वर साधना

Dony Chauhan का ऐसे शुरू हुआ संगीत का सफ़र 

संगीत का सफ़र शुरू होने की चर्चा करते हुए डॉनी चौहान ने बताया – ” मैं बचपन से ही संगीत सुनने और गाने का शौकीन था. मैं अपने खेतो में टहलते हुए गाया करता था. और स्कूल में शनिवार को बालसभा में गाया करता था. 10वी कक्षा से लेकर वो अपनी भाषा में मशूर हिमाचली गायकों द्वारा गाए गए गाने लिखा करते थे, जो की उनकी डायरी में अभी तक है. कालेज के दिनों में राजनीति में जुड़ गया और गाने की ओर कोई ध्यान नही रहा.”
वापिस संगीत की दुनियां में लोटने के पीछे क्या प्रेरणा रही के जवाब में Dony Chauhan ने बताया – ” कॉलेज दिनों के मध्य में उनकी मित्रता अतुल राजटा से हुई, जो की कॉलेज के दिनों में काफी नामी गायक थे. उन्होंने  संगीत में मेरी रुचि देखते हुए मुझे प्रेरित किया कि आपको एल्बम में गाना चाहिए. साथ ही साथ ए० सी ० भारद्वाज जी जो कि पूरे विश्व मे गायकी के क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं. उन्होंने मेरी काफ़ी मदद की.”
“अतुल राजटा और ए० सी ० भारद्वाज जी ने मुझे सुप्रसिद्ध  संगीत कार आदरणीय “श्री सुरेन्द्र नेगी जी ” से मिलवाया जो कि हिमाचली लोकसंस्कृति जगत का आज सबसे बड़ा नाम है. इन सबकी वजह से ही मेरी हिमाचली लोकगीत रिकॉर्ड करने की शुरुआत हुई.”

इनका मिला सपोर्ट 

आगे बढ़ाने में मिले सपोर्ट की चर्चा करते हुए बताया – ” मेरी संगीत रूचि को आगे बड़ाने के लिए मेरे माता –पिता का पूरा सहयोग मिला. और साथ ही साथ मेरे बड़े भाइयों पंकज चौहान और पंचल चौहान का भी पूरा योगदान रहा. सुरेन्द्र नेगी जी का सबसे ज्यादा सहयोग रहा इसके अलावा मेरे मित्र पंकज ठाकुर ,ए० सी० भारद्वाज, हनी नेगी व संतोष तोशी का काफ़ी सहयोग रहा. पंकज ठाकुर व ए० सी० भारद्वाज से हमेशा मुझे मार्गदर्शन मिला. मेरे बचपन के मित्र मनीष चौहान ने मुझे बड़े भाई की तरह प्यार दिया तथा सुख दुःख में हर तरह से मेरा साथ दिया.”
अपने माता-पिता के साथ
डॉनी चौहान ने 50 से ज्यादा हिमाचली लोकगीत गाए हैं. जिसमे सबसे अधिक प्यार Current 440v एल्बम को मिला है. जिसका फिल्मांकन बुट्टा सैनी ने किया है. इसके अलावा तेरा इंतजार, बुशेहरी पैंथर, पैंथर रिटर्न्स, यार, बिरशी, रूबरू, शावनी, तेरे दीवाने, बोड़ी रोनको लागी और स्लो पॉयजन काफ़ी विख्यात है. आगामी पेशकश जिस गाने का नाम “छौज़ू दाइये” है और इसे संगीत राजीव नेगी ने  दिया है. ये गाना जून माह रिलीज़ किया जाएगा.
नया एलबम

इन कार्यक्रमों में दी है प्रस्तुति 

हिमाचल के इस सिंगर द्वारा किये गए कार्यक्रमों की बात करे तो बहुत बड़ी लिस्ट बनेगी, वहां के गांव के नाम से कमेटी बनी होती है. उन कमेटियों के द्वारा कार्यक्रम कराये जाते हैं. उनमे डॉनी चौहान को आमंत्रित किया जाता है. इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा पुरे वर्ष में 85 मेलों का आयोजन किया जाता है. उनमे प्रसिद्ध मेले हैं- मिंजर मेला चम्बा, कुल्लू देशहरा, रामपुर लवी, शिमला समर फेस्टिवल, रेणुका मेला, मंडी शिवरात्रि आदि.
डॉनी चौहान ने ज़िला व प्रदेश में होने वाली किसी भी संगीत स्पर्धा में कभी भाग नही लिया उनका कहना है कि मेरा कर्त्तव्य केवल अपनी लोक संस्कृती को प्रदेश के कोने कोने तक गायकी और गानों के माध्यम से पहुंचना है.
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