Jaishree Trivedi : सैंकड़ो कविताओं की रचनाकार

शहडोल [ मध्यप्रदेश ] की कवयित्री जयश्री त्रिवेदी [ Jaishree Trivedi ] स्वतंत्र रचनाकार है. सैंकड़ो कविताएं लिखने के साथ मंचों पर प्रस्तुत भी करती है. सीधी सरल भाषा में अपने भावों को काव्य पंक्तियों में उतारने वाली इस कवयित्री में उज्जवल भविष्य नज़र आता है. युवा पीढ़ी द्वारा इस क्षेत्र को चुनना ही अपने आप में सकारात्मकता का सूचक है. उससे आगे की बात करें तो इन युवा कवियों द्वारा बदलाव की बयार लाने का प्रयास तो सोने में सुहागा वाली कहावत चरितार्थ कर देता है.
युवा कवयित्री जयश्री त्रिवेदी [ Jaishree Trivedi ] अपनी यात्रा के बारे में बताती है- “मैंने कभी सोचा नहीं था कि कवयित्री बनूँगी. यह सहज में हो गया. इसे मैं ईश्वरीय प्रेरणा से बनना मानती हूँ. मैंने कविताएँ लिखना, तथा पाठ करना अपने स्कूल समय से ही आरंभ कर दिया था, जिसका प्रमाण पत्र मेरे पास अभी भी उपलब्ध है. यहाँ मेरी पृष्ठभूमि तैयार हो गई थी. उसके बाद जरुरत के अनुसार मार्गदर्शन मिलता गया और मैं आगे बढती रही.”
जयश्री त्रिवेदी ने आगे बढ़ने में योगदान देने वालों के प्रति आभार जताते हुए बताया- “मुझे आगे बढ़ाने वालों में काफी प्रतिष्ठित नाम है. आगे बढ़ाने में सर्वप्रथम ईश्वर का, फिर मेरे दादाजी श्री विष्णु नारायण पांडे, मेरे नगर सतना के प्रख्यात कवि श्री हरिहर तिवारी जी, श्री राजकुमार धर द्विवेदी, श्री दुर्गा प्रसाद त्रिवेदी का योगदान रहा है. इन सबका तह दिल से आभार जताती हूँ.”

Jaishree Trivedi की काव्यधारा का नमूना 

कविताएँ कवि के विचारों का दर्पण होती है. कवि क्या सोचता है और समाज को क्या देना चहता है उसकी कविताओं को पढ़कर जाना जा सकता है. इसी उद्देश्य से जयश्री की कविता एक उदहारण के तौर पर प्रस्तुत की जा रही है. क्रिएटर्स मंच के पाठक इस कविता का पठन कर कवयित्री की मानस तरंगों को महसूस कर सकेंगे और समझ सकेंगे.

लोकतंत्र

बचा कुचा सा लोकतंत्र है 
राजनीती ही मूलमंत्र है 
नेता नेता मौसेरे भाई 
लूट रहे जनता की कमाई 
अपना उल्लू सीधा करने में 
लगा सारा समूह तंत्र है 
योजनायेंं सारी फलीभूत होती 
कागजोंं और अखबारों में 
चारों ओर पसरा सन्नाटा
इंसानियत के गलियारों में 
ख़ुदकुशी किसानों ने की 
युवा मर रहा बेरोजगार 
विकास के नाम पर पैसा 
सारे ओहदेदार रहे डकार 
जनता के पास सुरखित, 
बस एक ही अधिकार है 
चोरों में कम चोर कौन है?
उसका बेड़ापार है।

कोरोना काल में देती है ऑनलाइन प्रोग्राम 

कोरोना महामारी के समय मंचीय कार्यक्रम बंद हो गए. सभी कवि, सिंगर आदि आर्टिस्ट ऑनलाइन प्रोग्राम देने में ज्यादा सक्रीय रहे. जयश्री ने भी अनेकों प्रोग्राम ऑनलाइन दिए. इन कार्यक्रमों में युवा कवयित्री को बहुत सरहाना मिली. सम्मान पत्र भी प्राप्त हुए. उनकी कुछ झलकियाँ यहाँ प्रस्तुत है-

Jaishree Trivedi
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