समाना, पंजाब के जतिन छाबड़ा [ Jatin Chhabra ] पंजाबी गायकों में न्यू उभरता हुआ नाम है. मात्र 20 साल की अवस्था में धार्मिक भजन गायन में एक विशिष्ठ पहचान बनाई है. सुरीले कंठ और अपने प्रभावी हाव-भाव से लोगों को आकर्षित करते हैं. प्रोफेशनल सिंगिंग के साथ साथ में अपनी पढ़ाई को भी समय देना कितना कठिन होता है यह हमारी कल्पना से परे है. लेकिन जतिन छाबड़ा [ Jatin Chhabra ] के लिए यह एक चेलेंज मात्र था.
सिंगर जतिन छाबड़ा स्वयं की यात्रा के बारे में बताते हैं- “मुझे बचपन से ही धार्मिक भजन गाने का बहुत शौक था. मैं अक्सर अपने दादा जी के साथ मन्दिर जाता और मंदिर में भजन गाता. यह मेरा नियम बन गया था. फिर धीरे धीरे जागरण में गाना शुरू किया. लोगों का बहुत प्यार मिला. तब से मैंने सोच लिया कि कुछ भी हो जाए मुझे इसी लाइन को जॉइन करना है. पर मेरे सामने एक समस्या थी. मैं पढ़ाई में भी काफी अच्छा था. मेरी पढाई को कोई नुकसान ना हो यह मुझे ध्यान रखना था. इसके लिए मुझे बहुत महेनत करनी पड़ी.”
पंजाब के युवा सिंगर जतिन आगे बताते हैं- “मैंने पढाई को मैनेज किया. उसमें हमेशा आगे रहा. उसके साथ सिंगिंग में आगे बढ़ा. इसका परिणाम यह रहा कि मेरे घर में मेरे माता पिता हमेशा खुश हुआ करते थे जब उन्हें कोई मेरे नाम से जाना करता था कि ये जतिन के ममी पापा है. मेरे लिए ये बहुत बड़ी बात थी. इससे मुझे ख़ुशी तो मिलती ही साथ ही और ज्यादा महेनत करने की प्रेरणा मिलती.”
Jatin Chhabra को आगे बढ़ाने में रहा इन लोगों का योगदान
हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए किसी ना किसी रूप में सहयोग की, मदद की, प्रेरणा की जरुरत होती है. हमें जीवन में किसी ना किसी रूप में यह सब मिलता है. सफल व्यक्तियों के जीवन पर नज़र डालते हैं और उसकी समीक्षा करते हैं तो हमको यह सत्य समझ आ जाता है. जतिन के जीवन में भी इस कड़ी को स्पष्ट देखा जा सकता है. इस बात को वो खुद स्वीकार करते हैं और उनके लिए आभारी भी है.
भजन गायक जतिन छाबड़ा आगे बढ़ाने वालों का जिक्र करते हुए बताते हैं- “2020 में मैं श्याम जगत में आया. लोगों का इतने कम समय में बहुत ही ज्यादा प्यार देखने को मिला. श्याम जगत में लाने वाले सिर्फ एक इंसान जो बाबा के रूप मे आए. उन्होंने इस 1 साल में मुझे दिल से सपोर्ट किया. वो है मेरे रोहित अग्रवाल भैया. जिनका जितना शुक्रिया करूँ उतना कम है.”
श्याम भक्त Jatin Chhabra आगे बताते हैं- “28 aug 2020 को मैनें अपना पहला प्रोग्राम दिल्ली में किया. जिसमें बाबा की विशेष कृपा देखने को मिली. डरा हुआ था उस दिन, पर श्याम बाबा पर विश्वास था. जिसकी वज़ह से आज मैं यहा पर हूँ. 1 साल में ना जाने कहाँ कहाँ भेजा बाबा ने कीर्तन के लिए. सचमुच एक सपना सा लगता है कि इतना कुछ इतनी जल्दी बाबा ने पलट कर रख दिया.”
अभी तक इन शहरों में हुए हैं कार्यक्रम
जतिन के अभी तक अनेकों शहरों में कार्यक्रम आयोजित हो चुके हैं. उन सिटीज के नाम इस प्रकार है- पटियाला, खानोरी, राजपुरा, पत्रान, दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि.
अपने भजनों से श्याम भक्ति में तन्मय कर देने वाले जतिन छाबड़ा बताते हैं- “श्याम जगत इतना बड़ा है कि यहाँ न जाने कितने मंडल बने हुए है. और सब मण्डल वाले अपने घर के बच्चे की तरह अपना प्यार देते हैं. कहीं भी चले जाओ कभी ऐसा एहसास नहीं हुआ कि हम घर से इतनी दूर है. बस हमेशा ऐसा ही लगता था कि अपने घर में ही है.”
छाबड़ा का कहना है- “श्याम भजन किसी भी भाषा में हो अच्छा ही लगता है. मैं अक्सर हिन्दी, मारवाड़ी, पंजाबी भजन गाता हूँ. वैसे मैं यह मानता हूँ प्रेमियों को जो सुनना हो वही गाना सुनाना एक भजन गायक का कर्तव्य होता है.”
इन भजनों से मिली पहचान
श्याम भक्तों के बीच चर्चित भजनों की चर्चा करते हुए जतिन बताते हैं- “श्याम जगत के सभी भजन बहुत खूबसूरत है. पर जिन भजनों से मेरा लगाव ज्यादा है और जिन भजनों ने मुझे इतनी पहचान दी वो है – “श्याम बाबा श्याम बाबा तेरे पास आया हूँ” “कीर्तन की है रात” “हारे के सहारे आजा” ये भजन कहीं भी गा लू एक अलग सा माहौल बन जाता है. जो मुझे बहुत उत्साहित करता है.”
कोरोना महामारी के कारण अभी घर पर ही बाबा के भजनों की तयारी कर रहा हूँ और साथ में बी.ए 2Nd Years की पढ़ाई भी कर रहा हूँ. श्याम जगत में मैं अपना पहला भजन जल्द ही Release करने जा रहा हूं. भजन की recordings और video shoot की तयारी शुरू हो चुकी है, बस जल्दी ही आप सभी के बीच में कुछ नया और अलग लाने की कोशिश करूंगा.
सम्मानों की लगती है जड़ी
आर्टिस्ट का सम्मान अनेकों प्रकार से किया जाता है. जनता का प्यार मिलना, मोमेंटो दिया जाना, उसका चित्र बनाकर देना आदि इसके प्रकार है. जतिन को भी इन सभी प्रकारों में सम्मान मिला है. क्रिएटर्स मंच के पाठको के लिए कुछ झलकियाँ प्रस्तुत है –
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