Sangeeta Maheshwari : विदेशों में धूम मचाती राजस्थानी डांसर

एंकर, गीतकार व नृत्य जैसी कला की त्रिवेणी को खुद में बसाने वाली विशिष्ठ कलाकार है- Sangeeta Maheshwari. बीकानेर की रहने वाली कलाकार संगीता माहेश्वरी ने बीकानेर में ही नहीं बल्कि देश – विदेश में भी अपनी कला का ध्वज फहराया है. पन्द्रह वर्ष की आयु में ही माता कौशल्या देवी दम्माणी का निधन हो जाने के बाद पिता ने ही शिक्षा व कैरियर में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी.

अपने पिता सुशील कुमार दम्माणी को आदर्श मानते हुए नृत्यांगना संगीता महेश्वरी बताती हैं – “डांस, एंकरिंग व अभिनय किसी भी कला को सीखने के लिए उनके पिता ने ही मार्ग प्रशस्त किया है. मुझे कैरियर को संवारने में चार भाइयों के परिवार का पूरा – पूरा सहयोग मिला है.”

Sangeeta Maheshwari

संगीता ने अपने हौसले और हिम्मत से हर कठिनाई का सामना करते हुए राजस्थानी लोक नृत्य को एक नई दिशा दी. संगीता बचपन से ही राजस्थानी लोक नृत्य में रूचि रखती थी और उनकी यही रूचि आज उनकी जिदंगी बन चुकी है. बचपन में जब एक बार संगीता नृत्य सीखने जा रही थी तब परिवार वालों ने मना किया. जिसके कारण उन्हें अपने गुरुजी से डांट भी सुननी पड़ी लेकिन फिर भी वो लक्ष्य से नहीं भटकी और लोक नृत्य को ही अपना ध्येय बनाया. कदम- दर- कदम आगे बढ़ते हुए इस मुकाम को हासिल किया.

इस तरह हुए हैं  Sangeeta Maheshwari के कार्यक्रम 

देश विदेशों में राजस्थानी संस्कृति की छटा बिखरने वाली अदाकारा संगीता कहती है – ‘मुझे विभिन्न शहरों में जाकर मंच पर प्रस्तुति देने से बहुत खुशी मिलती है. वर्ष 1995 में मैंने बीकानेर के जाने – माने राजस्थान कला मंदिर में एन.डी. प्रकाश किराडू से संगीत की शिक्षा ली. मैंने “म्हारै लहरिये रा नौ सौ रुपिया रौकड़ा” पहला स्टेज शो किया. यही मेरे लिए मील का पत्थर साबित हुआ. उसके बाद  नृत्य, गायन, मांड, भवई, कालबेलिया इवेंट ऑर्गनाइजेशन सहित 500 से अधिक प्रस्तुतियां दी है.”

विगत 25 वर्षों से संगीत के क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाली संगीता आगे बताती है-  “मैंने अनेकों राजस्थानी व गुजराती म्यूजिक एलबम व गुजराती फिल्म “लागै कसुंबलो रंग” में अभिनय किया है. अभिनेत्री मनीषा कोईराला का डुब्लीकेट रोल भी किया है. सामाजिक सरोकार के रूप में गणगौर महोत्सव सहित सामाजिक उत्सवों में कोरियाग्राफी, नृत्य, गायन व एंकरिंग हेतु प्रशिक्षण शिविर आयोजित करती हूँ. बालक- बालिकाओं को संगीत व नृत्य की प्रेरणा और शिक्षा देकर उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास कर रही हूँ.”

विदेशो में राजस्थानी संस्कृति से कराती है रूबरू 

जो लोग व्यापार के दृष्टिकोण से अपनी मातृभूमि से दूर रहते है उन्हें अपनी मातृभूमि की मिट्टी की रूह से रूबरू कराना ही संगीता का एकमात्र मकसद है. इस भागदौड़ की जिदंगी में हम जहाँ अपनी कला और सभ्यता से दूर होते जा रहे है. वहीं संगीता जैसी एक साधारण औरत अपने नृत्य के जरिए अपनी कला से अवगत करा हमें अपनी मिट्टी की खुशबू का अहसास कराती है. विदेशों में जब वो नृत्य की प्रस्तुति देती है तो लोग झूम उठते है. राजस्थान की यह कला देखकर वो और भी ज्यादा इच्छुक हो जाते है.

सैंकड़ो हिन्दी व राजस्थानी एलबमों में नृत्य कला व अभिनय का जलवा बिखेर चुकी संगीता के सुपरहिट एलबमों में छोरी नखराली, आई मिलन की रुत सहित अनेक है. संगीता अब शादी, व्याह की परम्परागत गीतों को लेकर एक नया एलबम ला रही है और वर्तमान में एंकरिंग के माध्यम से अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही है.

हर जगह मिलता है सम्मान 

अपनी कला का हर जगह जलवा बिखेर चुकी संगीता को अंतराष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड मिले हैं. जिला और राज्य स्तर पर मिलने वाले अवार्ड की तो गिनती ही नहीं है. अब तक मिले अवार्ड में एशिया प्राइड अवार्ड को संगीता विशेष मानती है. उस अवार्ड को फिल्म जगत की जानी-मानी हस्तियों ने प्रदान किया है.

प्रशिद्ध राजस्थानी नृत्यांगना Sangeeta Maheshwari जहाँ भी शो करने जाती है वहाँ उनको खूब सम्मान मिलता है. दर्शक सर- आँखों  पर बिठाते हैं तो आयोजक वी.आई.पी. व्यवस्था देते हैं. शील्ड देकर सम्मानित करते हैं. क्रिएटर्स मंच के पाठको के लिए संगीता महेश्वरी को मिले सम्मान के कुछ फ़ोटो यहाँ पेश कर रहे हैं.

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