Gopal Nayak : गाँव से निकला एक कलाकार

आर्ट से अपनी पहचान बनाने वाले गोपाल नायक [ Gopal Nayak ] राजस्थान के एक छोटे से गाँव डेह के निवासी है. डेह जिला बीकानेर में आने वाली तहसील श्री कोलायत का क़स्बा है. गांवों में भारत बस्ता है, यह सुन सबने रखा है पर भावी पीढ़ी ने प्रत्यक्ष नहीं देखा है. जब Gopal Nayak जैसे प्रतिभाशाली कलाकारों को गांवों से निकलकर पूरे भारत में पहचान बनाते देखते हैं तब “गांवों में भारत बस्ता है” वाला कथन सहज ही समझ आ जाता है.
बचपन से ही पेंटिंग में रूचि रखने वाले गोपाल नायक ने 2006 में विज्ञान माॅडल व पोस्टर प्रतियोगिता से आर्टिस्ट बनने की दिशा में कदम आगे बढाया था. उस समय प्रथम स्थान प्राप्त कर खुद के आत्मविश्वास को जागृत किया और उसके बाद पीछे मुड़ कर नहीं देखा. जिला स्तरीय विज्ञान एवं जनसंख्या व विकास शिक्षा मेला जैसे कार्यक्रमों में सहभागिता दर्ज कराकर अपनी कला को आगे बढाया.
Gopal Nayak
रमणीय दृश्य
गोपाल नायक अपनी कलाक्षेत्र की यात्रा के बारे में बताते हैं- “मैंने आर्ट की कहीं शिक्षा नहीं ली. अपने घर और स्कूल के प्रोजक्ट से जो सीखने को प्राप्त होता उसमे कड़ी मेहनत करता. आर्ट में मुझे रूचि थी. रूचि के अनुसार बढ़ने का मोका मिलता है तो बच्चा दुगने उत्साह से सीखता है और सफलता प्राप्त करता है. हर माता-पिता को अपने बच्चों की रूचि का ध्यान रखना चाहिए. उसके अनुसार ही आगे बढ़ाना चाहिए.”
भोले नाथ

Gopal Nayak को मिला इन लोगों का सपोर्ट 

बालक में प्रतिभा होती है. उस प्रतिभा को पहचानना और सपोर्ट करना आवश्यक है. पर ऐसे जोहरी बहुत ही कम प्रतिभाओं को मिल पाते हैं. इसी वजह से प्रतिभाएं सामने ही नहीं आ पाती है. अभिभावक भी बच्चे की रूचि किसमे है यह ध्यान नहीं देते बल्कि अपने विचार थोपने की कोशिश करते हैं. इस मामले में गोपाल नायक खुश-किश्मत रहे हैं. इनको रूचि के अनुसार आगे बढ़ने का अवसर मिला है.

आर्ट में आगे बढाने में किन किन लोगों का योगदान रहा ? इस प्रश्न के जवाब में Gopal Nayak ने बताया- “मेरे पिता जी करणा राम जी नायक और सिस्टर राजश्री मेडम  [अध्यापिका ] मामराज जी सर [ हेड मास्टर ] सतनाम जी सर, बनवारी जी सर [ वरिष्ठ अध्यापक ] व वीर एकलव्य युवा विकास समिति प्रदेश राजस्थान का विशेष योगदान रहा. जो प्रारम्भ में सपोर्ट मिलता है उसे जिन्दगी भर भुलाया नहीं जा सकता.”

अनेक अवसरों पर हुए हैं सम्मानित 

अवार्ड या सम्मान मिलना कला के लिए महत्वपूर्ण नहीं है, यह बात जितनी सत्य है उतनी ही सत्य है कला के पास स्वयं सम्मान खींचे आते हैं. आर्ट को जब देखा जाता है तब दक्ष आर्ट देखने वाले के मन में सम्मान के भाव विकसित कर देती है. गोपाल की आर्ट ने भी कुछ ऐसा ही किया है. जिसका नतीजा यह है कि गोपाल नायक अनेकों कार्यक्रमों में सम्मान प्राप्त कर चुके हैं.

सम्मान मिलना कलाकार को और जिम्मेदार बना देता है. उसे अपनी कला को प्रत्येक क्षण निखारते रहने की प्रेरणा मिलती रहती है. नायक ने भी अवार्ड और सम्मान से अहंकार अर्जित नहीं किया है बल्कि कला को मांजने का कार्य किया है. क्रिएटर्स मंच के पाठको के लिए उनके सम्मान के कुछ फ़ोटो यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं, जो कलाकार की दक्षता के परिचायक है.

 

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