दिल्ली की रिया अग्रवाल [ Riya Aggarwal ] विलक्षण प्रतिभाशाली कवियत्री है. बचपन से ही लिखने में रूचि रखने वाली रिया आए दिन भारत की विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में छपती रहती है. रिया वर्तमान में फरीदाबाद, हरियाणा से ताल्लुक रखती है. घर-गृहस्थी को सँभालते हुए भी कविताओं का दौर निरंतर आगे बढ़ा रही है. उनका बहुत से प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेखन कार्य प्रकाशित होता रहता है.
माता राजबाला गोयल और पिता बलदेव कृष्ण गोयल की सुपुत्री Riya Aggarwal ने Daulat Ram College, Delhi University से बी.कोम करने के बाद MBA, MA (Economics) और BEd की शिक्षा प्राप्त की है. रिया को परिवार में सबसे छोटी पुत्री होने के कारण परिवार का भरपूर प्रेम मिला. “प्रभाती” नाम से साझा काव्य संग्रह भी प्रकाशित हो चुका है.
रिया अग्रवाल केवल कविताएं ही नहीं लिखती है बल्कि गीत, ग़ज़ल, लेख इत्यादि भी लिखती हैं. उनका पहला प्रकाशित लेख : “The Indian Citizen News” में “डिप्रेशन: एक अदृश्य शत्रु” था. पहली प्रकाशित कविता : अंग्रेजी में लिखी ” O Woman” , जो अंतरराष्ट्रीय संस्था, “Inner Wheel Club” की समाचार पत्रिका के कवर पेज पर प्रकाशित हुई.
अब तक अनेकों कविताएं, विभिन्न विषयों पर प्रकाशित हुई हैं. हर विषय जैसे की दहेज समस्या, लिंग भेद भाव, नारी सशक्तिकरण, एसिड अटैक, डिप्रेशन, प्रकृति संरक्षण, ड्रग्स की बढ़ती समस्या, घरेलू हिंसा, रेप आदि ज्वलंत मुद्दों पर कविताएं लिखीं है और जागरूकता लाने का प्रयास किया है. इन्होनें दूसरे विषय जैसे की विरह, प्रेम, ईश्वर भक्ति, जैसे हृदय स्पर्शी विषयों पर भी प्रभावशाली रचनाएं लिखीं हैं.
Riya Aggarwal की कविताओं के नमूने
स्त्री मन
क्या बहुत कठिन है.. स्त्री मन समझना..
जो अक्सर उलझ जाती है.. तुम्हें सुलझाने में
बुन लेती है खुद को.. तुम्हारे इर्द गिर्द
भुला देती है वो.. अपने सारे दुख दर्द
रिस्ते जख्मों को.. अक्सर सी कर
अपमान का विष भी.. चुपचाप पी कर
बहा कर आंसू.. रैन बिताना
उज्जवला बन.. संसार जगमगाना
महकाती है आंगन.. खुद मुरझाकर
सींचे रिश्ते.. खुद को मिटा कर
इच्छाओं का.. गला घोंट कर
आत्म सम्मान को.. चिता सौंप कर
घुटती हर पल.. फिर भी जीती
चाहे प्रेम के.. सच्चे मोती
स्त्री पढ़ना.. नहीं जटिल पहेली
बोलो थोड़ी.. मीठी बोली
मान सम्मान दो.. समझो जज़्बात
अपनत्व से बन जाती.. हर बिगड़ी बात
जारी रख
गर फूलों की चाहत है तो
कांटों से तू यारी रख..
ऊंचे ऊंचे ख़्वाब जो देखे
मेहनत फिर तू जारी रख..
हाथ न फैले किसी के आगे
थोड़ी तू खुद्दारी रख..
हेरा फेरी कभी ना करना
भीतर ईमानदारी रख..
मेल जोल भी ज़रूरी है
थोड़ी दुनियादारी रख..
इनका मिल रहा है सहयोग
आगे बढ़ाने वालों की चर्चा करते हुए रिया अग्रवाल ने बताया – माता-पिता का हमेशा मुझे सपोर्ट मिला. उन्होंने मुझे मेरी रूचि के अनुसार बढ़ने की आजादी दी. अभी मेरे पति श्री रोहित अग्रवाल का भरपूर सहयोग मिल है और आगे बढ़ने के लिए निरंतर प्रेतित करते हैं.
सामाजिक कार्यों में रहती है आगे
समाज के मुद्दों पर निर्भीकता से कलम चलाने वाली रिया सामाजिक कार्यों से भी लगातार जुड़ी रहती हैं. राष्ट्रीय महिला जागृति मंच की सदस्य भी हैं. सामाजिक उत्थान के कार्यों के लिए अग्रसर रहते हुए अनेकों कार्यक्रमों जैसे की नशा मुक्ति जागरूकता अभियान इत्यादि में समय समय पर हिस्सा लेती रहती हैं. समाज कल्याण के लिए निरंतर आगे बढ़ना चाहती हैं और महिलाओं की स्थिति में सुधार लाना इनका लक्ष्य है.
इन्होंने जल संरक्षण, ग्लोबल वार्मिंग, प्लास्टिक यूज, डिप्रेशन, राष्ट्रीय बालिका दिवस, गौतम बुद्ध, भारत कोकिला सरोजिनी नायडू आदि विषयों पर आधारित सारगर्भित लेख लिखे हैं. रिया की स्वयं द्वारा निर्मित कविताओं की एक पुस्तक प्रकासनार्थ है. बहुत जल्द पाठकों के हाथों में पहुँचने वाली है.
यह मिले हैं सम्मान
कवियत्री रिया अग्रवाल ने विभिन्न मंचों द्वारा आयोजित, अनेकों कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और प्रशस्ति पत्र प्राप्त किए हैं. सामाजिक कार्य करते हुए भी अनेक सम्मान प्राप्त किये हैं.
- राष्ट्रीय महिला जागृति मंच द्वारा ” नारी सम्मान 2021″ मिला।
- विश्व हिंदी लेखिका मंच द्वारा ” नारी गौरव सम्मान 2021″ मिला।
- सशक्त फाउंडेशन द्वारा ” साहित्य भारती सम्मान 2020″ प्राप्त हुआ।
इन पत्र-पत्रिकाओं में हुए प्रकाशित
द फेस ऑफ़ इंडिया, अमेठी पथिक, बोलती ख़बरें, ज्ञान सवेरा, दैनिक अमृतधारा, शब्दाहुति, प्रतिलेख, मालवांचल, द इंडियन सिटीजन न्यूज, ट्रू स्टोरी इत्यादि पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं.
Riya is really a meritorious , intelligent and very nice person. Keep going ..all the best..