Varsha Pahadiya : जैन रंगोली के लिए चर्चित कलाकार
प्रसिद्ध गायक किशोर कुमार जी की नगरी खण्डवा की Varsha Pahadiya रंगोली की सफलतम कलाकार है. उसने इस कला के माध्यम से 100 से ज्यादा प्रशास्ति पत्र प्राप्त किये हैं. जैन धर्म से जुडी यह कलाकार विभिन्न जैन मंदिरों में जैनिज़्म से जुडी रंगोली पिछले 20 वर्षों से बना रही है. वर्षा के अनुसार अभी तक 2 हजार से ज्यादा मांडने बना चुकी है. उसके बनाये हुए मांडने अख़बारों की सुर्ख़ियों में रहते हैं.
अपने प्रारंभ के दिनों की चर्चा करते हुए Varsha Pahadiya ने बताता – ” मेरे घर में मेरे पापा-मम्मी व एक बडे़ भैया है. जो वर्तमान में दिगम्बर आचार्य सुनील सागर जी के संघ में महाराज जी है. (उनका नाम 108 संमबुद्ध सागर जी है ) व दो छोटे भाई है. बडे़ भैया थैलेन्दु जैन जो वर्तमान में महाराज जी हैं, वो हमेशा सभी प्रतियोगिता में भाग लेते थे और हमें भी बोलना सिखाते थें कि किसी भी प्रतियोगिता में भाग लेना जरूरी होता है, जीतना जरूरी नही हैं.”
वर्षा आगे बताती है – “भाषण, तत्काल भाषण, वाद – विवाद, कहानी, कविता, निबंध, चित्रकला, रंगोली आदि में उन्होंने हमें सिखाया कि कैसे स्टेज पर जाते हैं और बोलते है. वो स्टेट लेवल के वक्ता हैं. मैनें भी जो सीखा है उन्ही से सिखा हैं. मैं जगह-जगह उनके साथ जाकर प्रतियोगिता में भाग लेती थी. हमें आगे बढानें में हमारे परिवार का बहुत सहयोग रहा. हमें लगभग खण्डवा व आसपास के क्षेत्र सभी जगह से सम्मान मिल चुका है. विवाह पश्चात लगभग 20 वर्षों से हम मन्दिर मे विघान, (माण्डना) बनाते आ रहे है.”
इतने विधानों के मांडने बनाती है Varsha Pahadiya
जैन मंदिरों में बनाये जाने वाले मांडनों का उल्लेख करते हुए वर्षा पहाडिया ने बताया – “मंदिरों में मांडनों का प्रसंग आता रहता है. जिसमें प्रमुख माण्डना, सिद्ध चक्र, महा मंडल विद्यान, शान्तिनाथ मण्डल विद्यान, पचंपरमेष्टी मण्डल विद्यान, आदिनाथ विद्यान महावीर विद्यान, भक्ताम्बर मण्डल विद्यान, नवग्रह विद्यान, दश लक्षण विद्यान, पंचमेरू विद्यान आदि अनेक माण्डने मेरे द्वारा बनाये गये है. मैं सिद्धचक्र महामण्डल विद्यान जो हमारे यहाँ (हाटापिपल्या) नगर में 75 वर्षों से सिद्धो की आराधना करते आ रहे है. लगभग यह माण्डना 26 बर्षों से मैं मन्दिर में बना रही हूँ. हमारे नगर में बड़े हषोउल्लास से अष्टानिका महापर्व मनाया जाता है.
अनेक राज्यों में मांडने बना चुकी वर्षा ने बताया- ” मैं विद्यान माण्डने अभी तक कई स्थानो पर गई हूँ. पारसोला (राजस्थान), सूरत (गुजरात), इन्दौर, गैरतगंज (म० प्र०), महाकाल की नगरी उज्जैन मै अभी लाकडाउन में बनाया. अनेक जगह से हमें हमारे इस कार्य के लिए सम्मान मिल चुका हैं. मैं इन मांडने को बनाने का कोई शुल्क नही लेती हूँ. मुझे यह बनाने अच्छे लगते हैं, इसलिये मैं जहाँ भी जाती हूँ कोई चार्ज नही लेती हूँ. दीपावली पर घर के बहार बड़ी-बड़ी 2 गोलिम्प बनाती हूँ, जिसको देखने के लिए पूरे नगर के लोग आते हैं.
वर्षा पहाडिया ने बताया – ” सिद्ध चक्र महामण्डल विधान जो प्रतिवर्ष हमारे यहाँ बनाते हैं. उसका फोटो व रंगोली का फोटो सभी अखबारों में आता हैं. मेरे पास लगभग इन सभी विधान के फोटो है. पेपर कटिंग हैं. मेरे पास लगभग 100 से ज्यादा प्रशास्ति है. और मैने लगभग आजकल दो हजार माण्डने बना चुकी हूँ.”